Thursday, September 3, 2015

Chum liya bahon me uthar kar !!


साँसों की हरारत से  चुम लिया ,
लबों की गर्माहट से चुम लिया !

मिला कर नज़रो को  नज़रो से उसने ,
शर्म को शरारत से चुम लिया ! 

ले कर मुझ को अपनी बाँहों में, 
एहसासो की शिद्दत से  लिया !

छूने से उनके यूँ लगा जैसे ,
जिंदगी को क़यामत से चुम लिया !

बे खुद कर के इन नज़दीकियों ने ,
हर दर्द को राहत से चुम लिया !

मुकम्मल गया जहां मेरा ,
ख़्वाब को हक़ीक़त से चुम लिया !

"रस्क" मुझ को अपना बना कर उसने मेरी,
मुहब्बत को इबादत से चुम लिया !! 




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