धुप में शामियाने लगे ,
वो ख्यालो में आने लगे !
चंद पल की मुलाकात को भी
भूलने में ज़माने लगे !!
कोई जाने ग़ज़ल बन गया,
हम ग़ज़ल गुनगुनाने लगे !
रूह ऐ रोशन से जुल्फे हटा दो
अब अन्धेरे हमें डराने लगे !!
आग अब तो हम अपने दिल की
आसुंओ से बुझाने लगे !
वो जिधर से भी गुजरे है हंस कर
रास्ते जगमगा ने लगे !!
"रस्क" उनसे नज़र जब मिली है
बिन पिए हम डगमगाने लगे है !
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