Wednesday, September 23, 2015

Gungunane Lage


धुप में शामियाने लगे  ,
वो ख्यालो में आने लगे ! 
चंद पल की मुलाकात को भी 
भूलने में ज़माने लगे  !!
कोई जाने ग़ज़ल बन गया, 
हम ग़ज़ल गुनगुनाने लगे  !
रूह ऐ रोशन से जुल्फे हटा दो 
अब अन्धेरे हमें डराने लगे !!
आग अब तो हम अपने दिल की 
आसुंओ से बुझाने लगे !
वो जिधर से भी गुजरे है हंस कर 
रास्ते जगमगा ने लगे !!
"रस्क" उनसे  नज़र जब मिली है 
बिन पिए हम डगमगाने लगे है !

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