Sunday, April 17, 2016

tammnao ki tasveer




मुझे तो मोम जैसा दिल मेरे दाता ने बक्शा ,
आये दिन के सदमो से इसे पत्थर बनता हूँ!
कभी फूलो के हार बनता था,
नोबत यह आ गयी है की तेग और खंजेर बनता हूँ!
मैंने छोड़ा नहीं कभी समझोतों के रास्तो को,
कड़ी करते है वो दीवार और में दर बनता हूँ!
मुझे रहना है गम की धुप में,
मेरी खता यह है की खुले है जिनके सर!
उनके लिए छत्ते  बनता हूँ!
हवा का एक झोका कहानी खत्म कर देगा,
अपनी तमन्नाओ की तस्वीर में पानी पर बनता हूँ...

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