Friday, March 28, 2025

वजह



"मन" आओ मिलकर कोई वजह ढूढ ले 

अपने एक होने की 

यु बिखरे बिखरे, 

ना तुम  अच्छे लगते हो, और ना ही  मैं 

Akhbar




"मन"  

वो गौर से अखबार को पढ़ते रहे 
     
ओर उनको मैं

Thursday, March 27, 2025

दायरे

 


दोनों मजबूर थे अपने-अपने दायरे में 

वह निभा ना सके हम भुला ना सके

Wednesday, March 26, 2025

तुम होते

 


में हूं दिल है तन्हाई है

तुम भी होते तो अच्छा होता

Tuesday, March 25, 2025

पहली मुलकात का अहसास



 उनसे पहली मुलाकात थी ,

वो सड़क के उस पार थी ,

वो मुझ से अनजान थी,

और में उससे बेखबर था !

आटे से सने उसके  थे हाथ,

पता ही नहीं चला कब हो गए साथ, 

वो उसकी बिखरी बिखरी सी जुल्फे! 

वो हमारी पहली मुलाकात अहसास ,

कुछ तरह का था !

उसकी निगाहे हमें तलाश रही थी, 

वो  अपनी जुल्फे सम्भाल रही थी ,

और "मन" मैं खुद को   !!

Pahli Mulakat



पहली मुलाकात का मंजर आज भी याद आता है 

तुमको याद ही होगा

झील के किनारे बीते पल

कैसे भुला दूं मैं उन रातों को 

वो वो तुम्हारा

मेरी बाहों में सिमटना

मेरे लबों को चूमना

बढ़ती धड़कने 

कांपते होठ 

झुकी निगाहे 

वो गीला बदन

वो जुल्फो से टपकती बूंदे

वो बदन की गर्मी

तेरी सांसों की रफ्तार

और वो आहे

मुझे वो मंजर आज भी याद आता  

वो चार दिन



 कुछ ऐसे दर्द होते है जो , लफ्जों में बयाँ नहीं होते है ! 

जो जख्म बहुत गहरे होते है , जाहिर उनके निशां होते है !!

 

भूल भी जाये गर हम अपने गुनाहों को , पीछे फिर भी कदमो के निशाँ होते है ! 

दूर से जो लगते है आसमा जैसे, नजदीक से अक्सर वो धुँआ होते है !!

 

रहबर के जो फरमाबदार होते है. कामयाब अक्सर वो ही कारवां होते है

बनाते है जो खुबसूरत महलो को, उन्ही के अक्सर कच्चे मकान होते है

 

मुश्किल से मुश्किल मसले भी,  "मन" दुआओ से अक्सर आसां होते है     

कुछ ऐसे दर्द होते है जो , लफ्जों में बयाँ नहीं होते है !!

वजह

"मन" आओ मिलकर कोई वजह ढूढ ले  अपने एक होने की  यु बिखरे बिखरे,  ना तुम  अच्छे लगते हो, और ना ही  मैं