दो नावों पर पाँव पसारे, ऐसे कैसे?
हसरते
" रस्क " एक मीठी सी शिकायत
Thursday, July 3, 2025
ऐसे कैसे?
Saturday, June 28, 2025
Thursday, June 19, 2025
बहुत खूबसूरत हो तुम
बहुत खूबसूरत हो तुम
कभी जो मैं कह दूं कि मोहब्बत है तुमसे
मुझे गलत मत समझना क्योंकि मेरी जरूरत हो तुम
नजर से जमाने की खुद को बचाना
किसी और से दिल मत लगाना कि तुम मेरी अमानत हो
बहुत खूबसूरत हो तुम
बिखरो जो तुम जुल्फे तो शरमाए है बादल,
फरिश्ते भी देखे तो हो जाए पागल,
ऐसी पाकीज़ा मूरत हो तुम,
जो लम्हा ही लम्हों में दुनिया बदल दे,
जो शायर को दे जाए पहलू गजल के,
बहुत खूबसूरत हो तुम
छुपाना चाहे तो छुपाई ना जाए
भूलाना चाहे तो भुलाई ना जाए
वह पहली मोहब्बत हो तुम
Thursday, June 12, 2025
Wednesday, June 11, 2025
खुश्बू मेरे इर्द गिर्द
ये खुश्बू है जानी पहचानी सी,
जो आ रही है मेरे इर्द गिर्द,
तेरे बदन से लिपटे कपड़ो की,
जो तुम बिखेर गयी थी ,
मेरे कमरे में इधर उधर,
सोफे पर मेरी कुर्सी पर,
कमरे की दीवारों पर फर्श पर,
कोने में पड़े कंप्यूटर की स्क्रीन पर
और उस टेबल पर,
तुम चली गई मुझको छोड़कर ,
पीछे रह गई सिर्फ तेरी यादे,
और वो तेरे बदन की खुश्बू ,
जो तुम मरे बदन के पहने,
कपड़ो पर छोड़ गई,
Saturday, June 7, 2025
उड़ान
मुस्सील बस ये सिलसिला है,
हर दौर में मुझे विष मिला है,
पला हूं में हादसों की परवरिश में,
जिंदा हु ये मेरा हौसला है,
उड़ू तो सामने आसमान है,
रुकी तो शाख पर घोंसला है,
पंख दिए है तो परवाज भी दे,
उड़ सकू मैं हौसलों की उड़ान दे
Friday, June 6, 2025
अपनी। मोहब्बत का इकरार
अभी-अभी वो उनके पहलु से निकाल कर,
हमसे रूबरू हो रहे है,
लगा कर हमे गले से,
वो अपनी मोहब्बत का इकरार कर रहे है
उफ्फ यह कैसी मोहब्बत है मेरी ,
फिर भी हम उनके लिए जिए जा रहे हैं,
Wednesday, June 4, 2025
बदले
हम अकसर महफिल में कहते थे,
अपनी मोहब्बत के बारे में ,
वो बदले तो मेरा नाम बदल देना,
फिर
उसने
घर बदला,
गली बदली,
मोहल्ला बदला,
फिर उसने
नजरे बदली,
वफ़ा बदली,
बाहों बदली,
आगोश बदली,
Tuesday, June 3, 2025
गैरो की बाहों में
गैरो की बाहों में तेरे लिपट जाने के बाद
चंद आँखें रो रही हैं मेरे मर जाने के बाद
बस यही तो सोच के मैं टूट कर बिखरा नहीं
क्यूँ समेटेगा मुझे कोई बिखर जाने के बाद
रंगमंच हैं हैरान जब उलझी ज़ुल्फ़ें देख कर
ढाएगी अब तू क़यामत बन-सँवर जाने के बाद
थकान तेरा मुक़द्दर बन गई हैं आज-कल
ये सज़ा है मेरी नज़रों से उतर जाने के बाद
जा रहे हो छोड़ कर उसे तो सोच लो
फूल में लौटी है कब ख़ुश्बू बिखर जाने के बाद
ऐसे कैसे?
दो नावों पर पाँव पसारे, ऐसे कैसे? वो भी प्यारा हम भी प्यारे, ऐसे कैसे? सूरज बोला बिन मेरे दुनिया अंधी है हँसकर बोले चाँद-सितारे, “ऐसे कैसे...
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हम अकसर महफिल में कहते थे, अपनी मोहब्बत के बारे में , वो बदले तो मेरा नाम बदल देना, फिर उसने घर बदला, गली बदली, मोहल्ला बदला, फिर उसने नजर...
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अभी-अभी वो उनके पहलु से निकाल कर, हमसे रूबरू हो रहे है, लगा कर हमे गले से, वो अपनी मोहब्बत का इकरार कर रहे है उफ्फ यह कैसी मोहब्बत है मेरी ,...