मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊँगा,
जिस जगह जाओगे तुम मुझे छोड़ कर।
अश्क पी लूँगा और ग़म उठा लूँगा मैं,
सारी यादों को सो जाऊंगा ओढ़ कर ।।
जब भी बारिश की बूंदें भिगोयें तुम्हें
सोच लेना की मैं रो रहा हूँ कहीं,
जब भी हो जाओ बेचैन ये मानना
खोल कर आँख में सो रहा हूँ कहीं,
टूट कर कोई केसे बिखरता यहाँ
देख लेना कोई आइना तोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......
रास्ते मे कोई तुमको पत्थर मिले
पूछना कैसे जिन्दा रहे आज तक,
वो कहेगा ज़माने ने दी ठोकरें
जाने कितने ही ताने सहे आज तक,
भूल पाता नहीं उम्रभर दर्द जब
कोई जाता है अपनो से मुंह मोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको......
मैं तो जब जब नदी के किनारे गया
मेरा लहरों ने तन तर बतर कर दिया,
पार हो जाऊँगा पूरी उम्मीद थी
उठती लहरों ने पर मन में डर भर दिया,
रेत पर बेठ कर जो बनाया था घर
आ गया हूँ उसे आज फिर तोड़ कर;
मैं वहीं पर खड़ा तुमको.......
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