जो मिल कर दूर जाते हो, मुझे अच्छा नहीं लगता ,
सितम ये मुझ पे ढाते हो, मुझे अच्छा नहीं लगता !!
हजारो इम्तहानों से, गुजर कर, मैं यहाँ पंहुचा ,
तुम अब भी आजमाते हो, मुझे अच्छा नहीं लगता !!
हमारे साथ कल तक तुम, चमन ,में फूल बोते थे ,
तुम्ही कांटे बिछाते हो, मुझे अच्छा नहीं लगता !!
मैं वाक़िफ़ हूँ, तुम्हारे दोस्तों के, असली चेहरों से,
अगर चाहत तुम निभाते हो, मुझे अच्छा नहीं लगता !!
निशाना बन रहा हूँ में, जहाँ के तंज़ ओ तानों के ,
और तुम दमन छुड़ाते हो , मुझे अच्छा नहीं लगता !!
"रस्क" बुरा लगता है, अपनी बात जब, समझा नहीं पता ,
समझ जब तुम न पते हो , मुझे अच्छा नहीं लगता !!
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