कुछ गहरा सा लिखना था ,
"इश्क़" से ज्यादा क्या लिखूं..!
कुछ ठहरा सा लिखना था ,
"दर्द" से ज्यादा क्या लिखूं..!
कुछ समन्दर सा लिखना था ,
"आँसू" से ज्यादा क्या लिखूं..!
अब जिन्दगी लिखनी है ,
"मन" तुमसे ज्यादा क्या लिखूं..!
गैरों की बाहों में वह जब सोकर आए रातों में मैं भी ढूंढा करता था मेरा नाम उसके हाथों में पागल था मैं मुझको लगता था उसको मोहब्बत है मुझसे गलती...
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