यहाँ था कोहरा घना मैं था अंधेरो से सना !
तेरी जो धुप पड़ी मुझपे मैं भी उजाले सा बना !!
तेरी किरणों के फुहारों मैं रोशनी से भीग गया!
दस्तक तूने दी मैं करना प्यार खुद से सीख गया!!
बेहाल थे हाल मेरे हालत सुधरने लगी !
लम्हे महकते सारे तेरी खुशबू तेरी बिखरने लगी !!
तेरी किया ख्याल तो रखने लगा में खुद का ख्याल!
तूने पूछा कैसे हो तब जाने मैंने खुद का हाल!!
मेरी आदतों को तुमने दिया है नया आकर!
जैसे करने लगा हम मैं खुद से प्यार !!
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