तेरे उभरो से उभर ही नहीं पाते
तेरी गहराइयों का मंजर कैसे देखे
मेरी हसरते दम तोड़ ही देती है
इन गहराइयों के नापते नापते
ओर एक जुनून तेरे लबों को चूमने के लिए
मुझे जिंदा कर ही देता है हर दफा
ओर इन सांसों की धड़कन जीने नहीं देती
ओर तेरे बदन की महक मरने नहीं दे
हर दफा में फिसल जाता हु मैं
इन भीगी गीली राहों में
ओर तू संभाल लेती है मुझे
इस गहरे काले घने जंगल में खोने से
तब मुझे भी यकीन होता है
अब कोई रोक नहीं पाएगा
"मन" मुझे तेरा होने से
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