Tuesday, March 25, 2025

वो चार दिन



 कुछ ऐसे दर्द होते है जो , लफ्जों में बयाँ नहीं होते है ! 

जो जख्म बहुत गहरे होते है , जाहिर उनके निशां होते है !!

 

भूल भी जाये गर हम अपने गुनाहों को , पीछे फिर भी कदमो के निशाँ होते है ! 

दूर से जो लगते है आसमा जैसे, नजदीक से अक्सर वो धुँआ होते है !!

 

रहबर के जो फरमाबदार होते है. कामयाब अक्सर वो ही कारवां होते है

बनाते है जो खुबसूरत महलो को, उन्ही के अक्सर कच्चे मकान होते है

 

मुश्किल से मुश्किल मसले भी,  "मन" दुआओ से अक्सर आसां होते है     

कुछ ऐसे दर्द होते है जो , लफ्जों में बयाँ नहीं होते है !!

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कब तक

  मैं नहीं जानता इस दुनिया में कब तक हूं, लेकिन जब तक हूं "मन" सिर्फ तेरा हूं!!