पहली मुलाकात का मंजर आज भी याद आता है
तुमको याद ही होगा
झील के किनारे बीते पल
कैसे भुला दूं मैं उन रातों को
वो वो तुम्हारा
मेरी बाहों में सिमटना
मेरे लबों को चूमना
बढ़ती धड़कने
कांपते होठ
झुकी निगाहे
वो गीला बदन
वो जुल्फो से टपकती बूंदे
वो बदन की गर्मी
तेरी सांसों की रफ्तार
और वो आहे
मुझे वो मंजर आज भी याद आता
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