Tuesday, March 25, 2025

Pahli Mulakat



पहली मुलाकात का मंजर आज भी याद आता है 

तुमको याद ही होगा

झील के किनारे बीते पल

कैसे भुला दूं मैं उन रातों को 

वो वो तुम्हारा

मेरी बाहों में सिमटना

मेरे लबों को चूमना

बढ़ती धड़कने 

कांपते होठ 

झुकी निगाहे 

वो गीला बदन

वो जुल्फो से टपकती बूंदे

वो बदन की गर्मी

तेरी सांसों की रफ्तार

और वो आहे

मुझे वो मंजर आज भी याद आता  

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कब तक

  मैं नहीं जानता इस दुनिया में कब तक हूं, लेकिन जब तक हूं "मन" सिर्फ तेरा हूं!!