जहां पर तुम नहीं होती,
वहां पर होने से डरता हूं,
बड़ी मुश्किल से पाया है,
तुम्हे खोने से डरता हूं,
पानी के बुलबुले सी,
चमकती हो दमकती हो,
कही गायब न हो जाओ,
तुम्हे छूने से डरता हूं।
" रस्क " एक मीठी सी शिकायत
ये खुश्बू है जानी पहचानी सी,
जो आ रही है मेरे इर्द गिर्द,
तेरे बदन से लिपटे कपड़ो की,
जो तुम बिखेर गयी थी ,
मेरे कमरे में इधर उधर,
सोफे पर मेरी कुर्सी पर,
कमरे की दीवारों पर फर्श पर,
कोने में पड़े कंप्यूटर की स्क्रीन पर
और उस टेबल पर,
तुम चली गई मुझको छोड़कर ,
पीछे रह गई सिर्फ तेरी यादे,
और वो तेरे बदन की खुश्बू ,
जो तुम मरे बदन के पहने,
कपड़ो पर छोड़ गई,
मुस्सील बस ये सिलसिला है,
हर दौर में मुझे विष मिला है,
पला हूं में हादसों की परवरिश में,
जिंदा हु ये मेरा हौसला है,
उड़ू तो सामने आसमान है,
रुकी तो शाख पर घोंसला है,
पंख दिए है तो परवाज भी दे,
उड़ सकू मैं हौसलों की उड़ान दे
अभी-अभी वो उनके पहलु से निकाल कर,
हमसे रूबरू हो रहे है,
लगा कर हमे गले से,
वो अपनी मोहब्बत का इकरार कर रहे है
उफ्फ यह कैसी मोहब्बत है मेरी ,
फिर भी हम उनके लिए जिए जा रहे हैं,
हम अकसर महफिल में कहते थे,
अपनी मोहब्बत के बारे में ,
वो बदले तो मेरा नाम बदल देना,
फिर
उसने
घर बदला,
गली बदली,
मोहल्ला बदला,
फिर उसने
नजरे बदली,
वफ़ा बदली,
बाहों बदली,
आगोश बदली,
गैरो की बाहों में तेरे लिपट जाने के बाद
चंद आँखें रो रही हैं मेरे मर जाने के बाद
बस यही तो सोच के मैं टूट कर बिखरा नहीं
क्यूँ समेटेगा मुझे कोई बिखर जाने के बाद
रंगमंच हैं हैरान जब उलझी ज़ुल्फ़ें देख कर
ढाएगी अब तू क़यामत बन-सँवर जाने के बाद
थकान तेरा मुक़द्दर बन गई हैं आज-कल
ये सज़ा है मेरी नज़रों से उतर जाने के बाद
जा रहे हो छोड़ कर उसे तो सोच लो
फूल में लौटी है कब ख़ुश्बू बिखर जाने के बाद
तुम मेरे पास नहीं हो मुझे इसका गम है ,
तुम खयालो में जो आये ये ही क्या काम है,
मेरी तन्हाई से टपका हुआ आंसू तूम हो,
प्यार एक फूल है उस फूल की खुश्बू तुम हो,
मेरा चेहरा, मेरी आँखे, मेरे गेसू , तुम हो ,
दूर हो मुझसे मगर पास नज़र आते हो,
मेरा जज्बा मेरा अहसास नज़र आते हो,
जिन्दगी बनके छाया है वो जादू तुम हो,
प्यार एक फूल है उस फूल की खुश्बू तुम हो,
मेरा चेहरा, मेरी आँखे, मेरे गेसू , तुम हो ,
जब भी तन्हाई में आहट सी कोई पाता हूँ,
ये समझ कर में हवाओ से लिपट जाता हूँ,
जैसे मेरे लिए खोले हुए बाजु तुम हो,
प्यार एक फूल है उस फूल की खुश्बू तुम हो,
मेरा चेहरा, मेरी आँखे, मेरे गेसू , तुम हो ,
कभी होठों को होठों को पकड़ से छोड़ने का मन नहीं करता,
कभी खुले शीशे पर पर्दे चढ़ाने का मन नहीं करता,
कभी सुखी चादरें बदन के लिपटने से भीग जाती है,
यार उस रात बत्तियां जलने का मन नहीं होता,
जहां पर तुम नहीं होती, वहां पर होने से डरता हूं, बड़ी मुश्किल से पाया है, तुम्हे खोने से डरता हूं, पानी के बुलबुले सी, चमकती हो दमकती हो, क...