" रस्क " एक मीठी सी शिकायत
अभी-अभी वो उनके पहलु से निकाल कर,
हमसे रूबरू हो रहे है,
लगा कर हमे गले से,
वो अपनी मोहब्बत का इकरार कर रहे है
उफ्फ यह कैसी मोहब्बत है मेरी ,
फिर भी हम उनके लिए जिए जा रहे हैं,
दो नावों पर पाँव पसारे, ऐसे कैसे? वो भी प्यारा हम भी प्यारे, ऐसे कैसे? सूरज बोला बिन मेरे दुनिया अंधी है हँसकर बोले चाँद-सितारे, “ऐसे कैसे...
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