Saturday, June 7, 2025

उड़ान

 



मुस्सील बस ये  सिलसिला है,

हर दौर में मुझे विष मिला है,

पला हूं में हादसों की परवरिश में,

जिंदा हु ये मेरा हौसला है,

उड़ू तो सामने  आसमान है,

रुकी तो शाख पर घोंसला है,

पंख दिए है तो परवाज भी दे,

उड़ सकू मैं हौसलों की उड़ान दे

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