" रस्क " एक मीठी सी शिकायत
हम अकसर महफिल में कहते थे,
अपनी मोहब्बत के बारे में ,
वो बदले तो मेरा नाम बदल देना,
फिर
उसने
घर बदला,
गली बदली,
मोहल्ला बदला,
फिर उसने
नजरे बदली,
वफ़ा बदली,
बाहों बदली,
आगोश बदली,
बहुत खूबसूरत हो तुम कभी जो मैं कह दूं कि मोहब्बत है तुमसे मुझे गलत मत समझना क्योंकि मेरी जरूरत हो तुम नजर से जमाने की खुद को बचाना किसी ...
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