" रस्क " एक मीठी सी शिकायत
जहां पर तुम नहीं होती,
वहां पर होने से डरता हूं,
बड़ी मुश्किल से पाया है,
तुम्हे खोने से डरता हूं,
पानी के बुलबुले सी,
चमकती हो दमकती हो,
कही गायब न हो जाओ,
तुम्हे छूने से डरता हूं।
दो नावों पर पाँव पसारे, ऐसे कैसे? वो भी प्यारा हम भी प्यारे, ऐसे कैसे? सूरज बोला बिन मेरे दुनिया अंधी है हँसकर बोले चाँद-सितारे, “ऐसे कैसे...
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