Wednesday, June 11, 2025

खुश्बू मेरे इर्द गिर्द





 ये खुश्बू है जानी पहचानी सी,

जो आ रही है मेरे इर्द गिर्द,

तेरे बदन से लिपटे कपड़ो की,

जो तुम बिखेर गयी थी ,

मेरे कमरे में इधर उधर,

सोफे पर मेरी कुर्सी पर,

कमरे की दीवारों पर फर्श पर,

कोने में पड़े कंप्यूटर की स्क्रीन पर 

और उस टेबल पर,

तुम चली गई मुझको छोड़कर ,

पीछे रह गई सिर्फ तेरी यादे,

और वो तेरे बदन की खुश्बू ,

जो तुम मरे बदन के पहने,

कपड़ो पर छोड़ गई,


  

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