कुछ गम जो आपके सफों पे लिखे है संवर जायेंगे !
वक़्त खुद ब खुद काट जाएंगे जब आप मुस्कुरायगे !!
लबो पे अपने तल्ख़िया आने मत दीजिये !
हंस के बाते जो करेंगे गैर अपने बन जायेंगे !!
कुछ गम जो आपके सफों पे लिखे है संवर जायेंगे !
वक़्त खुद ब खुद काट जाएंगे जब आप मुस्कुरायगे !!
शोखी है शाख पर सोच कोई दरख़्त नहीं काटिए !
सावन न लौट के आएगा परदेश से घर आएंगे !!
कुछ गम जो आपके सफों पे लिखे है संवर जायेंगे !
वक़्त खुद ब खुद काट जाएंगे जब आप मुस्कुरायगे !!
नासूर भी बन सकते है अब और इन्हे न छेडिये !
"रस्क" छोड़गे इनके हाल भी तो ये जख्म भी भर जायेंगे !!
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