छाते के नीचे भीगी थी तन्हाई,
पर उस दिन... पास थी मेरी परछाई।
उसकी सांसें धड़कनों में उलझीं रहीं,
कुछ लफ़्ज़ थे, जो कहे नहीं गए... मगर रह गए कहीं।
हाथ थामे थे, पर वादा नहीं किया,
पलकों पे रखा प्यार... पर इज़हार नहीं किया।
बारिश गिरती रही, ज़मीन चुप थी,
और दिल..? वो धड़क रहा था बस उसकी धड़कन के साथ-साथ
वो पल... जब भी याद आता है,
हर बूँद में बस उसका नाम गुनगुनाता है।
ना आवाज़ थी, ना शोर था कोई,
बस इश्क़ था — जो बह रहा था चुपचाप, हम दोनों के बीच कहीं।
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