Monday, May 12, 2025

मना मुझको ..




 कुछ देर अपने कदमों में बिठा मुझको 

में रूठी हूं, मना मुझको ..


जो लिखा था कल रात जाग कर तूने 

वो  शायरी मोहब्बत का सुना मुझको....


बता कोई किस्सा , हीर , रांझे का 

इश्क़ है सच में तो दिखा मुझको ...


अगर मिलता है सुकून डूब कर उसमें 

तो फिर खुद मैं आज डूबा मुझको...


बन चुका हैं जिस्म मेरा एक राग 

तू साज की तरह बजा मुझको...


जिस इश्क़ को लोग कहते हैं जहर 

वो आज अपने हाथ से पिला मुझको...


कुछ देर अपने कदमों में बिठा  मुझको 

मैं रूठी हूं मना मुझको ....

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