Wednesday, May 14, 2025

कुछ तो लिखूं




 हाथों में आई पेन तो आज सोचा कुछ तो लिखूं,

फिर आई तेरी याद तो फिर सोचा कुछ तो लिखूं,

फिजा में यूं चिनार के पत्तों की तरह,

गिरा था में टूटकर बादलों की तरह,

आज दोबारा याद आया वो मौसम,

तो सोचा कुछ तो लिखूं,

बदलते वक्त को देखा है मैंने अपनी आंखों से,

तुझे देखा है मैंने किसी ओर को बाहों में,

तेरी बेवफाई याद आई तो सोचा कुछ तो लिखूं,

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