मिल कभी बारिश में भीग कर कभी,
मेरे कोलर खींच कर नजदीक कर मुझे,
इसके अलावा मेरा कोई इलाज नहीं,
मेरे संग बीता एक रात ओर मुझे ठीक कर
मेरा तपता है बदन, तपता रहने दे
मेरे जिस्म के कपड़े दूर कर,
मेरे होठों को चूम पागलों की तरह,
कभी देख प्यार से कभी देख घूर कर
गिला कर दे मुझे बूंद बूंद से,
हल्का दांतों से चबा ही दे मेरे होठों को,
मेरी नाभि पे चला तेरी जुबान,
तेरे हाथों से मेरी गर्दन सहला दे,
पहले मेरे हाथ, फिर मेरे पैर,
फिर हो जा सवार मुझ पर ओर कर ले जन्नत की सैर,
मुझे भी कर नजदीक कभी अपने,
खुश हो जा जी कर पल ये अपने,
इस एक एक एक एक एक एक एक इंच,
मुझे महसूस कर मेरी जान हर तरफ से,
मुझे महसूस कर मेरी जान हर तरफ से,
मुझे महसूस कर सिर्फ़
मुझे महसूस कर सिर्फ़
No comments:
Post a Comment