Monday, May 19, 2025

तुझे अपना लिख दूं

 



जो झूठ लिखूँ, तो तुझे अपना लिख दूँ... जो सच लिखूँ, तो खुदको तेरा लिख दूँ...


जो हक़ीक़त लिखूँ, तो ये इश्क़ एक तरफा लिख दूँ...


जो ख़्वाब लिखूँ, तो ये इश्क़ मुकम्मल लिख दूँ...


जो मौक़ा मिले लिखने का, तो मेरी क़िस्मत में तेरा नाम लिख दूँ...


जो तक़दीर लिखूँ, तो अपने हिस्से में तेरा प्यार लिख दूँ...


जो क़िस्मत लिखूँ, तो तुझे अपना लिख दूँ मैं लिखूँ तो क्या लिखूँ, ना लिखूँ तो क्या ना लिखूँ?..


कभी रूहानी लिखूँ, कभी जिस्मानी लिखूँ... मैं हर अल्फ़ाज़ में तुझे अपना लिख दूँ..

No comments:

Post a Comment

ऐसे कैसे?

  दो नावों पर पाँव पसारे, ऐसे कैसे? वो भी प्यारा हम भी प्यारे, ऐसे कैसे? सूरज बोला बिन मेरे दुनिया अंधी है हँसकर बोले चाँद-सितारे, “ऐसे कैसे...