रुको जरा सुन लो जरा ,यु आना मुक्मल नहीं,
जो थी कल, पल दो पल तेरी हँसी मुक्मल नहीं,
मुक्मल नहीं है ये पन्ने किताबी, जो आधे भरे है और आधे है खाली,
मुक्मल नहीं है ये आँखे शराबी,आधी है मुंदी और आधी है सवाली,
रुको जरा सुन लो जरा ,यु आना मुक्मल नहीं,
जो थी कल, पल दो पल तेरी हँसी मुक्मल नहीं,
मुक्मल नहीं ये जिन्दगी ,
जो ना मिले तेरे रूबरू, मुक्मल नहीं ये ख़वाब भी,
जो पूरा ना हो ,पर मांगे ये तुझसे की,
रुको जरा सुन लो जरा ,यु आना मुक्मल नहीं,
जो थी कल, पल दो पल तेरी हँसी मुक्मल नहीं,
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