Wednesday, January 9, 2019

ADHARO


अधरों से लिखी एक दास्ताँ 
जुल्फों से छुपाये ख़ामख़ाह 
रंगो से बुना ये कारवाँ 
यु ही खोये रहे बारहा 
सिलवट में बसी ख्वाहिश की नमी 
जिस्मो में धुली वो चाँदनी 
आहट जो तेरी सुबह ने सुनी 
चादर ने छुपाली रोशनी 

Tu bhi nahi

 गलतियों से जुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं। दोनों इंसान हैं , खुदा तू भी नहीं,मैं भी नहीं...... गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां  वर...