ना जाने कब तुम मेरे ख्यालों से निकल कर ,
मेरे खवाबों में बस जाते हो ,
मैं तुम्हे सोचता ही रहता हूँ तन्हा तन्हा ,
और ना जाने तुम कब मुझे जुल्फों में कैद कर देते हो !
मैं तमाम उम्र क़ैद रहना चाहता हूँ ,इन जुल्फों में ,
ना जाने कब जुल्फों से निकाल कर बाँहों में घेर लेते हो ,
मुझे आजाद ना करो इन बाहों के घेरो से !
मैं तमाम उम्र क़ैद रहना चाहता हूँ
मुझे आजाद ना करो इन बाहों के घेरो से !
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