एक शख्स मुझको सोंप का दीवानगी का ताज,
जंगल की आबरू का निगेहबान कर गया !
कब तक मेरी वाफाओ से दमन छुडाओगे,
वो दिन भी आएगा के मुझे खुद बुलाओगे !
हम ना रहेंगे एक दिन ऐसा भी आएगा ,
तस्वीर को हमारी गले लगाओगे !
हँसते हो देख कर हम से गरीब को ,
करवट जो लेगा वक़्त सब भूल जाओगे !
तनहाइयों में आएगी "रस्क" मेरी जो याद ,
हलके सुरों से गजले मेरी गुनगुनाओगे !!
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